इस मंदिर में जाने से पहले खुद को शुद्ध करना जरूरी, वरना हो सकती है घबराहट!Faith in Lord Shankar
सच्चे मन से मांगने पर हर ईच्छा होती है पूरी...

MP News:सागर जिले के ढाना क्षेत्र में स्थित चंदेल कालीन शिव मंदिर, जिसे पटनेश्वर धाम के नाम से जाना जाता है, एक दिव्य और भव्य स्थल है। ऐसा माना जाता है कि यहां सच्चे मन से सेवा करने पर व्यक्ति की नौकरी लग जाती है और शादी से जुड़ी इच्छाएं भी शीघ्र पूरी होती हैं। शिवरात्रि से पहले यहां 20 दिनों तक चलने वाला महामहोत्सव आयोजित किया जाता है, जिसमें तेल हल्दी मंडप, कच्ची पंगत और पक्की पंगत जैसी सभी धार्मिक रस्में निभाई जाती हैं। इस आयोजन में हजारों लोग भाग लेने आते हैं।
ऐतिहासिक पटनेश्वर धाम का यह स्थान दिव्य संतो की भी तपोभूमि भी रही है. यहां पर पांच संतो के नाम से पांच वृक्ष लगे हुए हैं जो उनकी तपस्या की गवाही देते हैं. ऐसे ही एक संत राम राम महाराज थे. जो एक दिन ऐसे भक्ति में लीन हुए की अपनी ड्यूटी भूल गए. तो भोलेनाथ ने स्वयं जाकर उनकी ड्यूटी की थी. जैसे ही उन्हें इसका आभास हुआ, तो वह नौकरी परिवार सहित सब कुछ छोड़कर यही रम गए थे. और फिर यही समाधि ली थी. जहां पर उनकी कुटिया है वहां से आज भी लोगों को राम-राम की आवाज सुनाई देती है. इतना ही नहीं, अगर कोई अपवित्र है और उनकी कुटिया के अंदर चल जाए तो उसे घबराहट, बेचैनी, कंपकपी या पसीना आने जैसी चीज होने लगती है. कई लोगों को इसका एहसास हुआ है. जिसके चलते अब उनकी कुटिया को बंद रखा जाता है. सुबह शाम दिया बत्ती करने के लिए ही इसे खोलते हैं.
यहां स्थापित पटनेश्वर सरकार को जहां स्वयंभू मान्यता प्राप्त है, वहीं इतिहासकारों का मानना है कि यह शिव मंदिर चंदेल काल के समय का है। इसे पहले एक छोटे मंदिर के रूप में देखा जाता था, जिसे 16वीं शताब्दी में मुगलों ने तोड़ दिया था। बाद में, मराठाओं द्वारा इस मंदिर का पुनर्निर्माण कराया गया, और इसका श्रेय रानी लक्ष्मीबाई खेर को जाता है, जिन्होंने इसे भव्य स्वरूप प्रदान किया।