मेरे संन्यास लेने से ही 10 लोगो की जान बच गई,नहीं तो मैं..
प्रयागराज में हाल ही में जूना अखाड़े के समीप लगभग 5000 संन्यासी नागा के रूप में प्रवृत्त हुए हैं। इस समूह में शुभम मिश्रा का उल्लेख किया जाना आवश्यक है, जिन्होंने अपने जीवनकाल में स्वयं और अपने परिवार का पिंडदान करने का निर्णय लिया।
शुभम मिश्रा ने अपने जीवन की कठिनाइयों को रेखांकित करते हुए बताया कि उनके परिवार में विवाद फैला हुआ था। उन्हें अपने प्रिय व्यक्ति से वंचित होना पड़ा, जिससे उनके जीवन में अनेक समस्याएँ उत्पन्न हुईं। उन्होंने यह स्वीकार किया कि यदि वे अपने परिवार में रहते, तो संभवतः उनकी स्थिति और भी गंभीर हो जाती और वे दस व्यक्तियों की हत्या करने की स्थिति में पहुँच जाते।
इस परिप्रेक्ष्य में, यह निर्णय लिया गया कि आत्म-नाश की अपेक्षा आत्म-त्याग की राह अपनाई जाए और नागा संन्यासी के रूप में एक नई जीवन यात्रा प्रारंभ की जाए। वर्तमान में, उनकी स्थिति ऐसी है कि वापस लौटने का कोई विकल्प उपलब्ध नहीं है।