धान की इन 10 खास किस्मों से बढ़ाएं अपनी फसल का उत्पादन, जानें सबसे ज्यादा फायदे वाली किस्म
धान की उन्नत किस्में: धान खरीफ सीजन की सबसे प्रमुख फसल है, और इसकी खेती पूरे देश में मानसून के दौरान होती है। यह ज्यादातर उन इलाकों में होती है, जहां सिंचाई के अच्छे साधन होते हैं। लेकिन अब धान की खेती सिंचित और अर्ध-सिंचित दोनों जगहों पर हो रही है। अर्ध-सिंचित क्षेत्रों में, बीजों की बुवाई सीधे की जाती है, जबकि सिंचित क्षेत्रों में रोपाई और छिड़काव की विधि अपनाई जाती है।
ऐसे में, अगले कुछ हफ्तों में किसान रोपाई के लिए धान की नर्सरी तैयार करने लगेंगे। बंपर पैदावार के लिए अच्छी गुणवत्ता वाली धान की नर्सरी का होना बहुत जरूरी है। किसान भाई हमेशा अच्छी गुणवत्ता की उन्नत किस्मों का चयन करें। ये किस्में कीड़ों और रोगों के प्रति कम संवेदनशील होती हैं और जल्दी पैदावार देती हैं। भारत के विभिन्न हिस्सों में कई उन्नत धान की किस्में उगाई जाती हैं, जो 90 से 130 दिनों में तैयार होती हैं। आज हम आपको धान की कुछ बेहतरीन किस्मों के बारे में बताएंगे, जिनसे आप कम समय में अधिक उत्पादन कर सकते हैं।
भारत के राज्यों में धान की खेती…
चीन के बाद, भारत धान उत्पादन में दूसरा सबसे बड़ा देश है। यहां धान की खेती पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, बिहार और तमिलनाडु जैसे राज्यों में होती है। झारखंड में, धान की खेती 71% भूमि पर की जाती है। इन राज्यों में करोड़ों किसान बारिश के मौसम में धान की खेती करते हैं।
अच्छा उत्पादन देने वाली धान की 10 टॉप किस्में
भारत के उत्तर और दक्षिण में ज्यादातर लोग धान की खेती करते हैं। देश में कई उन्नत किस्में हैं जिन्हें आप अपनी भूमि, पानी और जलवायु के अनुसार चुन सकते हैं। इनमें पूसा – 1460, जया धान, डब्लू.जी.एल. – 32100, सीएसआर-10, पूसा सुगंध – 3, आईआर36, आईआर 64, अनामिका, एनडीआर-359 और एनडीआरआर धान 310 शामिल हैं। किसान भाई अपनी भूमि और जलवायु को ध्यान में रखते हुए इन किस्मों का चयन कर सकते हैं।
पूसा – 1460: यह बासमती धान की एक उन्नत किस्म है, जिसके दाने लंबे, भारी और स्वादिष्ट होते हैं। इस किस्म में बैक्टीरिया लिफ विलाइट नहीं आता है। इसे 2007 में विकसित किया गया था और ये 130 से 135 दिनों में तैयार होती है। इसका औसत उत्पादन 25 से 30 क्विंटल प्रति एकड़ है। यह किस्म पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और जम्मू कश्मीर में अच्छी होती है। पौधों की लंबाई मध्यम होती है और प्रत्येक बाली में 170-190 दाने होते हैं।
पूसा सुगंध 3: यह सुगंधित बासमती धान की एक बेहतरीन किस्म है। इसकी खासियत यह है कि कीट और रोगों का प्रकोप बहुत कम होता है, जिससे कीटनाशकों का उपयोग भी कम करना पड़ता है। इसके दाने सुगंधित और स्वादिष्ट होते हैं। इसकी फसल अवधि 130 से 135 दिन होती है और इसमें 30 से 35 क्विंटल प्रति एकड़ की पैदावार होती है।
डब्लू.जी.एल. – 32100: यह मध्यम अवधि में पकने वाली किस्म है, जिसमें दाने छोटे और पतले होते हैं। इसकी फसल 125 से 130 दिनों में तैयार होती है और औसतन 55 से 60 किवंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार होती है।
आईआर -36: यह किस्म सूखा सहन करने वाली है और कम बारिश वाले क्षेत्रों में बोई जाती है। इसकी फसल 115 से 120 दिनों में तैयार होती है और 40 से लेकर 45 Quintal प्रति हेक्टेयर तक पैदावार देती है।
आई.आर. – 64: यह भी एक मध्यम अवधि में पकने वाली किस्म है, जिसमें औसतन 50 से 55 किवंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार होती है। इसकी फसल 125 से 130 दिनों में तैयार होती है।
अनामिका: इसकी बुवाई पश्चिम बंगाल, बिहार, उड़ीसा और असम में होती है। इसकी फसल 130 से 135 दिनों में तैयार होती है, और यह किस्म 50 से 55 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की पैदावार देती है।
एनडीआरआर धान 310 एक लोकप्रिय किस्म है जो अच्छी पैदावार देती है। इसके दाने सफेद और चमकदार होते हैं, और इसमें 10.3% प्रोटीन होता है। औसतन, इसकी ऊंचाई 90 से 95 सेंटीमीटर तक होती है। यह खासकर मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, केरल, बिहार और पश्चिम बंगाल में उगाने के लिए सही है, और इसकी फसल 125 से 130 दिनों में तैयार हो जाती है।
एनडीआर 359: यह जल्दी पकने वाली किस्म है और 115 से 120 दिनों में तैयार होती है। इसकी औसत ऊंचाई 95 सेंटीमीटर होती है। इसमें बीएल, बीएस और बीएलबी रोग नहीं लगते। यह उत्तर प्रदेश, बिहार और उड़ीसा में बोई जाती है, और इसकी उपज 50 से 55 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हो सकती है।
सीएसआर-10: यह एक बौनी किस्म है, जिसमें दाने सफेद और छोटे होते हैं। यह पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, गोवा, ओडिशा, गुजरात, महाराष्ट्र और कर्नाटक के लिए उपयुक्त है। इसकी पैदावार आमतौर पर 50 से 55 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है और फसल 120 से 125 दिनों में तैयार हो जाती है।
जया धान: यह किस्म बीएबी, एसबी, आरटीबी और ब्लास्ट रोग प्रतिरोधी है। इसके पौधों की लंबाई 82 सेंटीमीटर तक होती है। यह एक छोटी लंबाई की बेहतरीन किस्म है, जिसकी फसल 120 से 130 दिनों में तैयार होती है। इसकी खेती भारत के लगभग सभी राज्यों में होती है।