5 साल के बच्चे का फैसला: मम्मी-पापा दोनों के साथ रहेंगे, महिला आयोग ने मेडिकल कॉलेज को 15 दिनों में परिवाद समिति गठित करने का आदेश दिया

रायगढ़ News आज छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक की अध्यक्षता में रायगढ़ में महिला उत्पीड़न से संबंधित 25 मामलों पर जन सुनवाई की गई। आयोग ने मेडिकल कॉलेज को 15 दिनों के अंदर आंतरिक परिवाद समिति का गठन करने का आदेश दिया और विभिन्न मामलों में सुलह के प्रयास किए गए।
मुख्य बिंदु:
5 साल का बच्चा बना जज: एक प्रकरण में, 5 साल के बच्चे ने अपने मम्मी-पापा के बीच फैसला सुनाया और कहा कि वह दोनों के साथ रहना चाहता है। आयोग ने दोनों पक्षों को ईकरारनामा तैयार करने के लिए कहा और 3 दिसम्बर को रायपुर बुलाया।
आंतरिक परिवाद समिति का गठन: मेडिकल कॉलेज में आंतरिक परिवाद समिति का गठन नहीं होने के कारण आयोग ने कॉलेज के डीन को 15 दिनों के अंदर समिति बनाने का आदेश दिया। यह निर्णय महिला छात्रों से अलग-अलग बयान लेने के बाद लिया गया, जिसमें किसी छात्रा ने विरोधी पक्ष के खिलाफ कोई शिकायत नहीं की थी।
दहेज उत्पीड़न और जहर देने के मामले में सख्त निर्देश: एक और मामले में, आवेदिका ने आरोप लगाया कि ससुराल पक्ष ने उसे जहर दिया। पुलिस द्वारा काउंसलिंग के बाद मामले को दहेज प्रताड़ना के रूप में लिया गया। आयोग ने पुलिस अधीक्षक को एक माह के अंदर रिपोर्ट भेजने का आदेश दिया।
शासकीय कार्यालयों में परिवाद समिति का गठन: आयोग ने शासकीय और अर्ध शासकीय कार्यालयों में आंतरिक परिवाद समिति का गठन अनिवार्य किया है, ताकि महिला उत्पीड़न के मामलों में शीघ्र कार्रवाई हो सके।
आयोग ने सभी शासकीय और अर्ध शासकीय संस्थाओं से अपील की है कि वे महिलाओं से जुड़े मामलों को गंभीरता से लें और आंतरिक परिवाद समितियों का गठन करें ताकि महिलाओं को न्याय मिल सके।