टोल प्लाजा विवाद: NSUI ने फर्जी एफआईआर पर दी चेतावनी
Dhamtari News:भाटागांव टोल प्लाजा को लेकर हुए विवाद में NSUI (नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया) के 25 से 30 कार्यकर्ताओं पर एफआईआर दर्ज होने के बाद मामला गरमा गया है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए NSUI जिलाध्यक्ष राजा देवांगन ने टोल प्लाजा मैनेजमेंट पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि टोल प्लाजा प्रबंधन ने NSUI कार्यकर्ताओं को डराने और उनकी आवाज को दबाने के उद्देश्य से फर्जी एफआईआर करवाई है।
राजा देवांगन ने बताया कि यह प्रदर्शन पूरी तरह से शांतिपूर्ण था और पुलिस प्रशासन की उपस्थिति में हुआ था। केवल एक टोल गेट पर धरना प्रदर्शन किया गया था, जबकि अन्य गेटों पर यातायात पूरी तरह चालू था। उन्होंने कहा, “टोल प्लाजा मैनेजमेंट ने धमतरी जिले के नागरिकों की आवाज को दबाने के लिए यह झूठा मामला दर्ज कराया है। लेकिन एनएसयूआई (NSUI)इन फर्जी एफआईआर और आरोपों से डरने वाली नहीं है। हम छात्रहित और जनहित की लड़ाई बेबाकी से लड़ते रहेंगे।”
NSUI की मुख्य मांगें और आंदोलन की पृष्ठभूमि
बीते शनिवार को एनएसयूआई ने सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ भाटागांव टोल प्लाजा का घेराव किया। उनकी मांग थी कि सीजी05 पासिंग गाड़ियों को टोल फ्री किया जाए और टोल प्लाजा में कार्यरत बाहरी कर्मचारियों की जगह स्थानीय लोगों को रोजगार दिया जाए। इस प्रदर्शन में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और जनप्रतिनिधि भी शामिल हुए थे।
इस आंदोलन के दौरान टोल प्लाजा के सुपरवाइजर, भोथली निवासी दोनेश्वर देवांगन ने आरोप लगाया कि एनएसयूआई कार्यकर्ताओं ने एनएच-30 पर यातायात बाधित किया। इसी आधार पर कुरूद थाना में 25 से 30 एनएसयूआई कार्यकर्ताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई।
राजा देवांगन का बयान: लूट नीति बंद होनी चाहिए
जिलाध्यक्ष राजा देवांगन ने कहा, “भाटागांव टोल प्लाजा की लूटनीति बंद होनी चाहिए। यह धमतरी जिले के हर आम आदमी की आवाज है। जब तक एनएसयूआई धमतरी पासिंग गाड़ियों को टोल फ्री नहीं करा लेती, यह लड़ाई जारी रहेगी।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि एनएसयूआई केवल जनहित के लिए संघर्ष कर रही है और उनके प्रयास जनता के समर्थन से मजबूत हो रहे हैं।
प्रशासन और प्रबंधन के खिलाफ आरोप
इस घटना ने प्रशासन और टोल प्रबंधन की भूमिका पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। एनएसयूआई का कहना है कि उनकी मांगें पूरी तरह जायज हैं और जनता के हित में हैं। वहीं, टोल प्लाजा प्रबंधन के इस कदम को विरोध दबाने की एक कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
यह मामला अब राजनीति और जनसरोकार दोनों के दृष्टिकोण से चर्चा का विषय बन गया है। एनएसयूआई के कार्यकर्ता इसे लंबी लड़ाई का संकेत मानते हुए आंदोलन को जारी रखने की बात कह रहे हैं।