Chhattisgarh

छत्तीसगढ़ में धान खरीदी और इलेक्ट्रॉनिक तौल कांटे: क्या गड़बड़ी की संभावना है?

इलेक्ट्रॉनिक तौल कांटे: सही तौल या गड़बड़ी?

 

NHT DESK।।छत्तीसगढ़ में इस बार धान खरीदी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक तौल कांटे का उपयोग शुरू किया गया है। यह कांटे तौल को सटीक और तेज बनाते हैं, लेकिन क्या इन कांटों में गड़बड़ी की संभावना है? यह सवाल किसानों के बीच उठ रहा है।

इलेक्ट्रॉनिक तौल कांटे: क्या है कार्यप्रणाली?

इलेक्ट्रॉनिक तौल कांटे डिजिटल तकनीक पर आधारित होते हैं, जो वजन मापने के लिए सेंसर का इस्तेमाल करते हैं। यह कांटे मैन्युअल तौल की तुलना में अधिक सटीक होते हैं, जिससे तौल में त्रुटि की संभावना कम होती है। साथ ही, यह प्रक्रिया तेज और पारदर्शी होती है, जिससे किसान अपनी फसल का सही मूल्य प्राप्त कर सकते हैं।

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क्या गड़बड़ी संभव है?

हालांकि इन कांटों का उद्देश्य सही तौल प्रदान करना है, फिर भी कुछ कारणों से गड़बड़ी की संभावना हो सकती है:

सॉफ़्टवेयर या सेटिंग में हेरफेर: कांटे के सॉफ़्टवेयर में बदलाव या सेटिंग में गलती के कारण वजन में बदलाव हो सकता है।

कैलिब्रेशन में गड़बड़ी: अगर कांटों को सही तरीके से कैलिब्रेट न किया गया हो, तो तौल में त्रुटि हो सकती है।

मानवीय हस्तक्षेप: कभी-कभी मैन्युअल हस्तक्षेप से भी कांटे की सेटिंग में बदलाव किया जा सकता है, जिससे गड़बड़ी हो सकती है।

सरकार की निगरानी व्यवस्था

राज्य सरकार ने तौल कांटों में गड़बड़ी की संभावना को रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं:

निगरानी और सत्यापन: सरकार द्वारा तौल कांटों का नियमित सत्यापन और कैलिब्रेशन सुनिश्चित किया गया है।

सीसीटीवी निगरानी: उपार्जन केंद्रों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं, ताकि कोई भी गड़बड़ी पकड़ी जा सके।

शिकायत निवारण तंत्र: किसानों के लिए एक हेल्पलाइन नंबर और शिकायत निवारण तंत्र उपलब्ध कराया गया है, जिससे वे अपनी शिकायतें दर्ज करवा सकते हैं और तुरंत समाधान पा सकते हैं।

किसानों के लिए सुझाव

किसानों को तौल के दौरान सतर्क रहना चाहिए और कांटे के डिस्प्ले पर ध्यान देना चाहिए। यदि किसी प्रकार की गड़बड़ी का संदेह हो, तो तुरंत अधिकारियों से संपर्क करें और शिकायत दर्ज करवाएं।

 

बहरहाल इलेक्ट्रॉनिक तौल कांटे छत्तीसगढ़ में धान खरीदी प्रक्रिया को पारदर्शी और सटीक बनाने में सहायक हैं। हालांकि, गड़बड़ी की संभावना को पूरी तरह से नकारा नहीं किया जा सकता, इसलिए प्रशासन को कड़ी निगरानी और प्रभावी कदम उठाने चाहिए। किसानों को जागरूक करके इस प्रक्रिया को और प्रभावी बनाना होगा।

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