लखमा की गिरफ्तारी से चौंकाने वाले खुलासे, 2000 करोड़ का घोटाला और क्या क्या राज हैं छुपे?
रायपुर।पूर्व आबकारी मंत्री और कोंटा के विधायक कवासी लखमा को 2000 करोड़ रुपए के आबकारी घोटाले के मामले में ईडी ने बुधवार को गिरफ्तार कर लिया। वह जब पूछताछ के लिए पहुंचे, तब ईडी ने उन्हें गिरफ्तार किया और विशेष कोर्ट में पेश किया। कोर्ट में सुनवाई के बाद ईडी के वकील ने 21 जनवरी तक लखमा को रिमांड पर लेने की अनुमति मांगी, जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया। वकील ने मीडिया को बताया कि लखमा को हर महीने दो करोड़ रुपए मिलते थे।
लखमा को इस मामले में 28 दिसंबर और 3 जनवरी को पूछताछ के लिए बुलाया गया था, और फिर 15 जनवरी को भी। ईडी के वकील ने बताया कि पूछताछ के समय लखमा जांच अधिकारियों के साथ सहयोग नहीं कर रहे थे, बल्कि उनसे सवालों के जवाब देने के बजाय उन्हें भ्रमित करने की कोशिश कर रहे थे।
अरविंद सिंह, जो शराब घोटाले में जेल में हैं, ने लखमा के बारे में कहा कि वह हर महीने 50 लाख रुपए लेते थे। एपी त्रिपाठी ने बताया कि लखमा को हर महीने डेढ़ करोड़ रुपए मिलते थे। ये पैसे जयंत देवांगन, कन्हैया लाल कुर्रे और जगन्नाथ साहू के जरिए पहुंचाए जाते थे। एक आबकारी विभाग का कर्मचारी, इकबाल खान, हर महीने यह राशि लखमा के लिए सौंपने जाता था। लखमा को घोटाले से संरक्षण देने के आरोप में 36 महीने तक 72 करोड़ रुपए कमीशन के रूप में दिए गए।
ईडी की जांच में यह भी सामने आया है कि सुकमा में कांग्रेस भवन के निर्माण में इस घोटाले की रकम का इस्तेमाल हुआ था। ईडी के वकील ने कोर्ट को बताया कि लखमा और उनके बेटे हरीश के घर से डिजिटल सबूत मिले हैं, जिनसे वित्तीय लेन-देन के संकेत मिले। इसलिए, ईडी ने लखमा के परिवार की संपत्ति की जानकारी के लिए 14 दिनों की रिमांड मांगी।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने लखमा की गिरफ्तारी पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि लखमा ने बस्तर में सड़क निर्माण में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया था, और उसे इसके नतीजे भुगतने पड़े। उन्होंने कहा कि सड़क निर्माण में अनियमितता को उजागर करने पर एक पत्रकार की हत्या कर दी गई। इसके बाद, लखमा ने विधानसभा में इस मुद्दे को उठाया था, और चुनावी आचार संहिता के दौरान बिना टेंडर के सड़क निर्माण की पोल खोली थी, इसलिए ईडी ने उन्हें गिरफ्तार किया।