पुरी में श्रीमद्भागवत कथामृत ओड़िशा का चतुर्थ वार्षिक समारोह सम्पन्न
NHT DESK।।श्रीमद्भागवत कथामृत ओड़िशा मंच द्वारा आयोजित चतुर्थ वार्षिक समारोह रविवार को पुरी के सिद्ध बकुल मठ में भव्य नमो की गई। यह मंच 2020 के कोरोना काल से श्रीमद्भागवत पुराण के प्रचार एवं प्रसार के उद्देश्य से कार्यरत है।
हर दिन शाम 6 बजे, यह मंच जगन्नाथ दास द्वारा रचित श्रीमद्भागवत पुराण का एक अध्याय ओड़िया भाषा में कुलीन विद्वानों द्वारा मधुर गायन और प्रवचन के रूप में ऑडियो माध्यम से प्रस्तुत करता है। मंच के चार वर्ष पूरा होने के उपलक्ष्य में इस वार्षिक समारोह का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम की प्रमुख विशेषताएँ
कार्यक्रम की शुरुआत सुबह 6 बजे पूजा और हवन के आयोजन के साथ हुई। इस पवित्र अवसर पर संत श्री संतोष चैतन्य महाराज जी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता सिद्ध बकुल मठ के मठाधीश संत श्री ने की। मंच के सभापति श्री गोपाल कृष्ण सेनापति ने श्रद्धालुओं को श्रीमद्भागवत के महत्व के बारे में महत्वपूर्ण प्रवचन दिया।
छत्तीसगढ़ के नरेश पटेल का सत्कार
इस आयोजन में छत्तीसगढ़ के ग्राम पंचधार के निवासी नरेश पटेल को विशेष रूप से सम्मानित किया गया। उन्होंने चार वर्षों तक श्रीमद्भागवत कथामृत ओड़िशा मंच से सक्रियता से जुड़कर न केवल श्रीमद्भागवत पुराण का नियमित श्रवण किया, बल्कि छत्तीसगढ़ के 35 अन्य व्यक्तियों को भी इस मंच से जोड़ने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।
संत श्री संतोष चैतन्य जी महाराज के हाथों प्रशस्ति पत्र वितरण
संत संतोष चैतन्य जी महाराज ने नरेश पटेल को प्रशस्ति पत्र, श्रीमद्भागवत पुराण, वस्त्र, और प्रतीक चिह्न प्रदान किया। इस खास मौके पर छत्तीसगढ़ से श्री ईश्वर प्रसाद पटेल, क्षेमानिधि प्रधान, बरुण घनश्याम प्रधान, और सुशील प्रधान भी उपस्थित रहे।
भक्तों के लिए प्रेरणा
श्रीमद्भागवत कथामृत ओड़िशा मंच ने पिछले चार वर्षों में अध्यात्म और संस्कृति के प्रचार में एक अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। इस मंच के माध्यम से प्रतिदिन श्रीमद्भागवत पुराण का अध्ययन और श्रवण देशभर के भक्तों के लिए प्रेरणास्रोत बन गया है।
सिद्ध बकुल मठ में आध्यात्मिक माहौल
सिद्ध बकुल मठ में आयोजित इस समारोह ने भक्तों और विद्वानों की उपस्थिति के साथ भक्ति और अध्यात्म का उत्सव मनाया। इस आयोजन के दौरान मंच के योगदान की सराहना की गई, जिसने आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करते हुए श्रीमद्भागवत पुराण को सभी तक पहुंचाने का कार्य किया।