डोलोमाइट रैकेट | महुआपाली में सरोज का ‘खनन साम्राज्य’, 250 रुपए में बिक रहा खजाना, रॉयल्टी को ठेंगा

सारंगढ़-बिलाईगढ़ – जिले के महुआपाली क्षेत्र में खनन माफिया सरोज ने डोलोमाइट पत्थर की लूट का ऐसा साम्राज्य खड़ा कर लिया है, जिसे देखने के बाद खनिज विभाग की कार्यशैली पर भी सवालिया निशान लगना लाजमी है। खुलेआम चल रहे अवैध डोलोमाइट पत्थर के खनन का खेल अब न सिर्फ ज़मीन के नीचे के खजाने को चाट रहा है, बल्कि सरकारी राजस्व को भी करोड़ों का नुकसान पहुंचा रहा है।
250 रुपए में बिक रहा बहुमूल्य खनिज
कटंगपाली के अलग-अलग क्रेशरों में डोलोमाइट पत्थर 250 रुपए प्रति टन की दर से खपाया जा रहा है। न कोई रॉयल्टी, न कोई ट्रांजिट पास। सब कुछ बिना किसी वैध दस्तावेज के हो रहा है। खनिज संपदा को इस कदर सस्ते में बेचने का खेल अगर किसी विभाग की आंखों के सामने हो रहा है, तो उसकी चुप्पी भी संदेह के घेरे में है।
सरोज का अवैध ‘राज पाठ’
महुआपाली में सरोज ने डोलोमाइट खनन का एक ऐसा तंत्र तैयार कर रखा है जिसमें स्थानीय लोगों से लेकर ट्रक मालिकों तक, सभी को साध रखा है। ट्रैक्टर और डंपर दिन-रात खदानों से पत्थर निकालते हैं और उन्हें सीधे क्रेशरों तक पहुंचाया जाता है। कोई पूछने वाला नहीं, कोई रोकने वाला नहीं।
खनिज विभाग की भूमिका पर सवाल
सवाल ये उठता है कि जब हर दिन सैकड़ों टन डोलोमाइट की ढुलाई हो रही है, तो क्या खनिज विभाग को इसकी भनक नहीं? अगर भनक है तो कार्रवाई क्यों नहीं? और अगर नहीं है, तो फिर विभाग अपनी जिम्मेदारियों से कैसे बच सकता है?
रॉयल्टी चोरी: राज्य को करोड़ों की चपत
इस रैकेट में सबसे बड़ा नुकसान राज्य सरकार को हो रहा है। रॉयल्टी की चोरी के चलते खजाने में करोड़ों रुपए का राजस्व नहीं पहुंच रहा। हर एक टन डोलोमाइट पर देय रॉयल्टी की चोरी राज्य के संसाधनों की खुली लूट है।
स्थानीय प्रशासन की चुप्पी शर्मनाक
इस पूरे खेल के बीच प्रशासन की चुप्पी भी हैरान करती है। आखिर किसके संरक्षण में ये ‘सरोज राज’ चल रहा है? कौन हैं वो लोग जो इस अवैध खनन को शह दे रहे हैं? और क्यों अभी तक कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हुई?
अब क्या होगा आगे?
इस मुद्दे पर स्थानीय जागरूक लोगों और मीडिया की भूमिका अहम हो जाती है। जब तक सरोज जैसे खनन माफियाओं के खिलाफ सख्त कदम नहीं उठाए जाते, तब तक ना तो संसाधन बचेंगे और ना ही कानून का डर कायम रहेगा।