व्हाट्सएप ग्रुप से मिली जानकारी के सहारे कराया प्रसव, पुलिस जांच में जुटी
चेन्नई, 22 नवंबर: चेन्नई में एक दंपति द्वारा घर पर बच्चे को जन्म देने के मामले ने नई बहस छेड़ दी है। आरोप है कि दंपति ने बिना डॉक्टर की सलाह के अपनी तीसरी संतान को घर पर जन्म दिया। उन्होंने यह फैसला व्हाट्सएप ग्रुप से मिली सलाह के आधार पर लिया। इस घटना के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर इसे लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं।
क्या है पूरा मामला?
मामला चेन्नई के कुंद्राथुर इलाके का है। 36 वर्षीय मनोहरन और उनकी 32 वर्षीय पत्नी सुकन्या ने 17 नवंबर को अपने घर में अपने तीसरे बच्चे को जन्म दिया। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान उन्होंने किसी डॉक्टर या मेडिकल स्टाफ की मदद नहीं ली। बल्कि, वे एक व्हाट्सएप ग्रुप, जिसका नाम ‘होम बर्थ एक्सपीरियंस’ है, पर उपलब्ध जानकारी का सहारा लेकर यह फैसला लिया।
यह ग्रुप उन लोगों के लिए बनाया गया है, जो घर पर बच्चे को जन्म देने के अनुभव साझा करते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, दंपति ने गर्भावस्था के दौरान किसी प्रकार की मेडिकल जांच भी नहीं करवाई।
डिलीवरी के दौरान क्या हुआ?
सुकन्या को प्रसव पीड़ा होने पर अस्पताल जाने के बजाय मनोहरन ने घर पर ही डिलीवरी कराने का फैसला किया। उन्होंने व्हाट्सएप ग्रुप पर साझा किए गए सुझावों के आधार पर इस प्रक्रिया को अंजाम दिया।
हालांकि, इस दौरान कोई बड़ी दुर्घटना नहीं हुई, लेकिन स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसा कदम उठाना बेहद जोखिम भरा हो सकता है।
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शिकायत और पुलिस जांच
इस घटना की जानकारी सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद, एक स्थानीय पब्लिक हेल्थ ऑफिसर ने कुंद्राथुर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। शिकायत में कहा गया है कि दंपति का यह कदम चिकित्सा सुरक्षा नियमों का उल्लंघन है और इससे मां और बच्चे दोनों की जान खतरे में पड़ सकती थी।
पुलिस ने मनोहरन से पूछताछ शुरू कर दी है। इसके साथ ही, पुलिस ने उस व्हाट्सएप ग्रुप के बारे में भी जानकारी जुटानी शुरू कर दी है, जिसमें होम डिलीवरी को बढ़ावा देने वाले संदेश साझा किए जाते हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों की राय
स्वास्थ्य विशेषज्ञों और डॉक्टरों ने इस मामले पर कड़ी नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि घर पर बच्चे का जन्म देना न केवल असुरक्षित है, बल्कि यह कई प्रकार की जटिलताओं को जन्म दे सकता है।
संक्रमण का खतरा: घर पर डिलीवरी कराने से मां और नवजात शिशु को संक्रमण का खतरा अधिक रहता है।
जन्म संबंधी जटिलताएं: प्रसव के दौरान मां या बच्चे को गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, जिन्हें केवल डॉक्टर ही संभाल सकते हैं।
मृत्यु दर में वृद्धि: ऐसे मामलों में, यदि कोई जटिलता सामने आए तो मां और बच्चे की मृत्यु की संभावना बढ़ जाती है।
घर पर बच्चे का जन्म: क्यों है यह खतरनाक?
घर पर डिलीवरी कराने का विचार कई देशों में लोकप्रिय हो रहा है, लेकिन इसका सही ढंग से प्रबंधन करना जरूरी है।
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट: WHO के अनुसार, सुरक्षित डिलीवरी के लिए प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मी की मौजूदगी आवश्यक है।
भारत में स्थिति: भारत में अधिकांश डिलीवरी अभी भी अस्पतालों में कराई जाती है, लेकिन कुछ लोग नए ट्रेंड्स और सोशल मीडिया की सलाह से बिना सोचे-समझे ऐसे फैसले ले लेते हैं।
व्हाट्सएप ग्रुप्स की भूमिका
आजकल व्हाट्सएप ग्रुप्स और सोशल मीडिया पर घर पर बच्चे को जन्म देने के बारे में जानकारी तेजी से फैलाई जा रही है। हालांकि, इन प्लेटफॉर्म्स पर दी गई जानकारी अक्सर बिना किसी मेडिकल प्रमाण के होती है, जिससे लोग गुमराह हो जाते हैं।
इस घटना ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या इन ग्रुप्स की गतिविधियों पर नजर रखने की जरूरत है?
पुलिस और प्रशासन का रुख
चेन्नई पुलिस ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच शुरू कर दी है।
व्हाट्सएप ग्रुप की जांच: यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि क्या इस ग्रुप में ऐसे और भी सदस्य हैं, जिन्होंने बिना डॉक्टर की सलाह के होम डिलीवरी कराई है।
अवैध सलाह देने वालों पर कार्रवाई: पुलिस यह भी जांच रही है कि क्या ग्रुप के एडमिन और सदस्यों पर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
लोगों की प्रतिक्रिया
घटना के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने इसे लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की।
एक यूजर ने लिखा: “जान जोखिम में डालकर इस तरह का कदम उठाना बहुत गैरजिम्मेदाराना है।”
दूसरे यूजर ने कहा: “सरकार को ऐसे व्हाट्सएप ग्रुप्स पर रोक लगानी चाहिए, जो बिना प्रमाणित जानकारी के लोगों को गुमराह कर रहे हैं।”
सरकार और स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी
इस घटना के बाद स्वास्थ्य विभाग और सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि:
1. प्रचार और जागरूकता अभियान चलाएं:
गर्भवती महिलाओं को नियमित स्वास्थ्य जांच के महत्व के बारे में जागरूक किया जाए।
2. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर निगरानी:
अवैध मेडिकल सलाह देने वाले ग्रुप्स की पहचान और उन पर कार्रवाई की जाए।
3. गांवों और कस्बों में स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार:
ग्रामीण इलाकों में अस्पतालों और स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाया जाए।
बहरहाल चेन्नई की यह घटना एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर करती है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और व्हाट्सएप ग्रुप्स की सलाह कितनी सुरक्षित हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि किसी भी प्रकार की गर्भावस्था और डिलीवरी से संबंधित फैसला केवल डॉक्टर की सलाह पर ही लिया जाना चाहिए।
सरकार और प्रशासन को इस घटना से सबक लेते हुए जागरूकता अभियान और कड़ी निगरानी तंत्र लागू करना चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।